चीन और पाकिस्तान सीना यानी पहाड़ी इलाकों व हाई एल्टीट्यूड वाले इलाकों में तैनाती के लिए भारतीय सेना नई तोपों की खरीद कर रही है. रक्षा मंत्रालय ने 105MM/37 कैलिबर माउंटेड गन सिस्टम की खरीद के लिए रिक्वेस्ट फॉर इंफॉर्मेंशन (RFI) किया है Indian Army New Weapon: भारतीय सेना अपने आधुनिकरण के दौर से गुजर रही है. दरअसल धीरे धीरे कर भारत सरकार द्वारा भारतीय सेना के पुराने हथियारों को नए हथियारों से रिप्लेस किया जा रहा है. वहीं भारतीय सेना को और भी अत्याधुनिक तकनीकों और हथियारों से लैस किया जा रहा है. चीन और पाकिस्तान सीना यानी पहाड़ी इलाकों व हाई एल्टीट्यूड वाले इलाकों में तैनाती के लिए भारतीय सेना नई तोपों की खरीद कर रही है. रक्षा मंत्रालय ने 105MM/37 कैलिबर माउंटेड गन सिस्टम की खरीद के लिए रिक्वेस्ट फॉर इंफॉर्मेंशन (RFI) किया है. बता दें कि किसी भी हथियार खरीदने से पहले रक्षा मंत्रालय द्वारा की जा रही प्रक्रिया का यह पहला चरण होता है. इस आरएफआई में भारतीय सेना ने अपनी जरूरतों को बताया है. कौन कंपनियां कर सकती हैं आवेदन आरएफआई के जरिए केवल वे कंपनियां आवेदन कर सकती हैं जो भारतीय सेना की जरूरतों को पूरा कर सकती है. आरएफआई में भारतीय सेना ने जो जरूरतें बताई हैं उसमें एक यह भी है कि गन ट्रायल के दौरान सभी तरह के गोला बारूद फायर कर सके. वहीं नया गन सिस्टम नॉर्दन बॉर्डर यानी हाई एल्टिट्यूड इलाकों में तैनात की जा सके. वहीं दिन रात काम करने में भी यह सक्षम होनी चाहिए. स्वदेशी हों पुर्जे गन सिस्टम में बिल्ड इन टेस्ट फैसिलिटी होनी चाहिए ताकि किसी भी गड़बड़ी को आसानी से पकड़ा जा सके. वहीं समय रहते इसे ठीक किया जा सके. वहीं गन सिस्टम के लगभग 50 फीसदी कल पुर्जे स्वदेशी निर्मित होने चाहिए. बता दें कि आत्मनिर्भर भारत के तहत इस मुहीम को अहमियत दी जा रही है. 105MM/37 कैलिबर माउंटेड गन 60-70 के दशक से भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रही हैं. भारतीय सेना के पास 105MM/37 गन लगभग 100 के करीब हैं जो कि पुरानी हो चुकी है. 105MM/37 कैलिबर गन की खासियत इस गन की सबसे खास बात यह है कि वजन में काफी हल्की है और एक स्थान से दूसरे स्थान पर इसे ले जाना आसान है साथ ही इसे हाई एल्टीट्यूड यानी ऊंटे पहाड़ी क्षेत्रों में इसे आसानी से तैनात किया जा सकता है. यह गन दिन और रात दोनों समय फायर करने में सक्षम है. इस गन की अधिकतम मारक क्षमता 17 किमी है. बता दें कि गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुए भिड़ंत के बाद इस गन की लद्दाख में तैनाती बढ़ा दी गई है.
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