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पति से कम पैसे क्यों कमाती हैं दुनिया भर की औरतें? रिपोर्ट में सामने आई सच्चाई

  • Writer: The Globe
    The Globe
  • May 1, 2022
  • 3 min read

क्या आप उतने ही पैसे कमाती हैं जितने कि आपके पति

दुनिया की 45 देशों की सरकारों के जुटाए आकड़ों के मुताबिक इस सवाल का जवाब ज़्यादातर महिलाओं ने 'ना' में दिया. इस अध्ययन में 45 अलग-अलग देशों में सार्वजनिक रूप से मौजूद आँकड़ों की मदद से साल 1973-2016 के बीच महिलाओं की आय की पड़ताल की गई. यह दुनिया का पहला ऐसा सर्वे है जिसमें महिलाओं और उनके पति की कमाई की तुलना की गई है.


भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) बैंगलोर में सेंटर फ़ॉर पब्लिक पॉलिसी की प्रोफ़ेसर हेमा स्वामीनाथन और प्रोफ़ेसर दीपक मलगन समेत अन्य शोधकर्ताओं ने 18-65 आयुवर्ग वाले दंपतियों के बीच और 28.5 लाख घरों में पति और पत्नी की कमाई का तुलनात्मक अध्ययन किया.

घरों के अंदर बड़ी असमानता प्रोफ़ेसर स्वामीनाथन कहती हैं, "आम तौर पर माना जाता है कि घर में बराबरी होगी और कमाई को बराबर बाँटा जाएगा, लेकिन असल में घरों में बहुत असमानताएँ होती हैं और हम इसे सबके सामने लाना चाहते थे." इस रिपोर्ट में घरों को 'एक काला डिब्बा' कहा गया है. प्रोफ़ेसर स्वामीनाथन कहती हैं, "हम इस काले डिब्बे के अंदर नहीं देख रहे हैं, लेकिन अगर अंदर नहीं देखेंगे तो तस्वीर कैसे बदलेगी?" यह तो ज़ाहिर है कि भारतीयों में लैंगिक असमानता है और आम तौर पर कार्यक्षेत्र में कम महिलाएं हैं. जो हैं भी वो फ़ुल टाइम काम कम ही करती हैं. प्रोफ़ेसर स्वामीनाथन और प्रोफ़ेसर मलगन भारत के अलावा वैश्विक स्थिति की पड़ताल भी करना चाहते थे. उन्होंने कहा, "मिसाल के तौर पर नॉर्डिक देशों (नॉर्वे, डेनमार्क, स्वीडन, फ़िनलैंड और आइसलैंड) को लैंगिक समानता के लिए उम्मीद की नज़र से देखा जाता है, लेकिन वहाँ असल में क्या स्थिति है? क्या वहाँ घरों में काम और पैसों का बराबर बँटवारा है?" शोधकर्ताओं ने अलग-अलग देशों को आम तौर पर व्याप्त असमानता और घरों में मौजूद असमानता के हिसाब से अलग-अलग रैंकिंग दी. सर्वे के नतीजों के अनुसार, लैंगिक असमानता पूरी दुनिया में हर समय, ग़रीब और अमीर हर तरह के घरों में मौजूद रही है.

दुनिया के हर देश में असमानता

प्रोफ़ेसर मलगन ने बताया, "ताज़ा आँकड़ों से पता चलता है कि अगर पति-पत्नी दोनों बाहर काम करते हैं तो ऐसा कोई भी देश नहीं है (न ही अमीर देश और न ही विकसित देश) जहाँ पत्नियाँ अपने पति के बराबर पैसे कमाती हों." उन्होंने कहा, "यहाँ तक कि लैंगिक असमानता के सबसे कम स्तर वाले नॉर्डिक देशों में भी हमने पाया कि कमाई में महिलाओं का हिस्सा 50% से कम ही है." महिलाओं के कम पैसे कमाने की कुछ वजहें हर जगह एक जैसी हैं. जैसे कि पुरुषों को लगभग हर संस्कृति में रोज़ी-रोटी कमाने वाला और महिलाओं को घर संभालने वाला माना जाता है. कई महिलाएं माँ बनने के बाद काम से अनपेड या पेड ब्रेक लेती हैं. इसके अलावा जेंडर पे गैप (एक ही काम के लिए महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम पैसे मिलना) दुनिया के कई देशों की सच्चाई है. घर के काम और बच्चों से लेकर बुज़ुर्गों को सँभालने का काम ज़्यादातर जगहों पर महिलाओं के ज़िम्मे है जिसके बदले उन्हें कोई पैसे नहीं मिलते. इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइज़ेशन की साल 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, पूरी दुनिया में महिलाएं घर के अनपेड काम के घंटों का 76.2% हिस्सा पूरा करती हैं, जो पुरुषों की तुलना में तीन गुना ज़्यादा है. एशिया और प्रशांत क्षेत्र में तो यह और ज़्यादा बढ़कर 80% तक पहुँच जाता है. इस रिपोर्ट में घर के अनपेड कामों को कार्यक्षेत्र में महिलाओं के आगे बढ़ने और वापस लौटने से रोकने की प्रमुख वजह बताया गया है. शोधकर्ताओं का कहना है कि महिलाओं की कम कमाई का असर आर्थिक ही नहीं होता बल्कि सामाजिक रूप से भी उन्हें बाहर और घरों में निचले पायदान पर रखता है.


Dheeraj Charan

The Globe Journalist

1 April 2022


 
 
 

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